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ग़ज़ल

Amita's blog
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न दिल है यहाँ न जज्बाते है यहाँ ,
लिए सांसो का झमेला सिर्फ लाशे है यहाँ |
दूर किसी गोशे मे चिराग था जला हुआ ,
मिल अँधेरे से गले रोशनी रोती है यहाँ |
मै सूखा पत्ता तो नहीं गिरा शजर से उड़ चला,
मेरा रंग उड़ा सके धूप ऐसी है कहाँ |
अब यहाँ फुर्सत किस,कौन किसी का हाल सुने ,
मुझ अकेले की बात न करिए हर कोई मशरूफ यहाँ |
इक चेहरा अब भी तसव्वुर मे आ जाता है ,
वरना बिछुड़ कर कौन किसी को याद करता है यहाँ |
तेरी अजमत को ऐ खुदा ग़मों ने कुछ कम किया ,
वरना तेरी इबादत करने वाले ,अभी आबिद है यहाँ|
अमिता

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