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जीवन में कुछ छोटी -२ घटनायें हमारे आस -पास घटित होती रहती है ,कभी समयाभाव के कारण तो कभी व्यर्थ के पचड़ों में कौन पड़ें ,ये सोच हम तटस्थ बने रहते है | किन्तु एक ऐसा वाकया मेरे सामने आया ,जिसने मुझे अंदर तक हिला दिया | अभी कुछ दिन पहले ही j j blog पर लव ,प्रेम पर लम्बे -२ लेख लिखे गये | अब प्रेम व प्रेम विवाह का एक कड़वा सच आपके सामने है | मेरी एक परिचित है शुचि -विशाल [काल्पनिक नाम] पति -पत्नी दोनों B .Tech इंजीनियर ,प्राइवेट जॉब,NCR में अपना फ्लैट मतलब कि Well -Settled ,सात साल का एक बेटा और शादी के दस साल हो गए है | हमेशा उनको देख कर ऐसा लगता था कि बहुत हैप्पी फैमिली है ,पर एक दिन जब शुचि ने अपना दर्द बयाँ किया तो लगा कि क्या इनका कसूर इतना है कि इन्होने ने प्रेम विवाह किया है और शुचि प्रेम विवाह करने की सजा भुगत रही है |
शुचि ने बताया कि हम दोनों ने घर वालो कि रजामंदी के बिना लव मैरिज की थी| धीरे-२ मैने अपनी ओर से पहल करके सास -ससुर के साथ रिश्ते बनाने की पूरी कोशिश की| और समय के साथ उनसे जुड़ते हुए हमारे रिश्ते मधुर होते भी गये |
नहीं जुड़ा तो केवल एक रिश्ता —- – – – – – – दामाद और ससुराल का | क्यों कि शादी के बाद
ही माँ ने बेटे को समझा दिया कि जो हुआ सो हुआ लेकिन,” बेटा तू ससुराल नहीं जायेगा “|
मैने सोचा कि समय के साथ सब ठीक हो जायेगा ,किन्तु आज भी स्थिति वही की वही है |
इतने सालो में मै इनकी तरफ के हर छोटे -बड़े सभीं मौके पर खड़ी रही ,और ये अपने घर में कलह बचाने के चक्कर में एक बार भी मेरे मायके नहीं गये | मै अकेले ही मायके आती जाती रही | दस सालो में अड़ोस-पड़ोस व रिश्तेदारों को जवाब देते -२ मै थक गयी हूँ | कब मेरा दामाद मेरे घर आएगा ………………………? ये सोचते -२ मेरे माँ-बाप बुरी तरह टूट चुके है | और अब तो मेरा बेटा भी पूछने लगा है कि पापा हमारे साथ नानी के घर क्यों नहीं जाते | क्या जवाब दूँ उसको ?
कभीं -२ सोचती हूँ कि गुनाहगार तो मै हूँ जिसने प्रेम-विवाह किया |
और उस गुनाह की सबसे बड़ी सजा भुगत रहे है मेरे पेरेंट्स | मेरे सिवा उनका कोई भी नहीं है | कई बार मेरे मन में आया कि मै भी जैसे को तैसा व्यवहार दूँ किन्तु मै ऐसा न कर सकी | एक बेटे ने ससुराल से दस साल तक रिश्ता नहीं जोड़ा तो” बेटा लायक है “और एक लड़की ने अगर ससुराल से नाता न जोड़ा होता तो ” बहु नालायक है ” |
इतना कहकर शुचि तो शांत हो गई किन्तु मेरा मन अशांत हो गया |
ईश्वर की सबसे अनमोल कृति है माँ | प्रेम स्नेह ,वात्सल्य से भरा हुआ हृदय | किन्तु क्या सारा प्रेम स्नेह ,ममता बेटों के माँ के दिल मे होती है और बेटी के माँ बाप के दिल पत्थर के होते है | बात जब अरमानो की आती है तो उसका भी पूरा-२ ठेका लड़के के माँ -बाप ने ही ले रखा है | सोचिये ,इकलौती संतान होने के कारण क्या शुची के माँ बाप के कोई अरमान व खुशियाँ नहीं है | क्या ममता रह रह कर उन्हें नहीं कचोटती होगी |
एक प्रश्न जो अभी भी जवाब मांग रहा है कि क्या प्रेम विवाह करके शुचि ने कोई गुनाह किया है ? नहीं, तो असली गुनाहगार कौन है ???????????
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