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ग़ज़ल

Amita's blog
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दिल तुम्हारा न सहीं गम तुम्हारा ही मिले ,
जिन्दगी जीने का मुझको कोई बहाना तो मिले |
हजारों आरजू , हजारों ख्वाहिशे थी कभी ,
इक तुम्हारी आरजू पे आज दम निकल पड़े |
ये कैसी बेबसी है जिन्दगी के इस मोड पर ,
मंजिल की बात छोड़िये रास्ता तो कोई मिले |
न सोचो की हर मौज का साहिल से मिलन होगा ,
हम किनारा ढूँढ लेंगे कोई दरिया तो मिले |
न जाने कैसी आग में जल रहे है हम सभी ,
इक समुंदर न सही इक बूँद पानी तो मिले |
…….अमिता

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