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मजाक

Amita's blog
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मजाक , आ हा आ अ हा हा हा ! मजा आ गया भाई | अरे ! आप तो बहुत अच्छा मजाक कर लेते है | कमाल का है आपका सेन्स ऑफ़ हयूमर. ……….|
क्या मजाक किया है आपने ?????? प्रतिदिन, 32 रु पाने वाला आदमी गरीबी की रेखा से ऊपर है | हा हा हा , लगता है आपने, “शायद महंगाई की रेखा देखी नही |” कैसे देखेगें ? आप तो बस अपना ,सिर्फ अपना और अपना काम देख रहे है | अरे ! आप हमे तो हमारे हाल पर छोड़ दो और 32
रु लेकर अगर आप गलती से भी किसी बाजार मे घुस गये तो ये जो सीना तानकर आप अपनी बत्तीसी दिखा रहे है वो सबकी सब शर्म से बाहर आ जायेंगी |
आपने, आपने हमसे मजाक किया देश सेवा का | देश सेवा के नाम पर आकर हाथ -पांव जोड़े और कुर्सी पर विराजे तो सेवा छोड़ मेवा ही मेवा खाने लगे | आम गरीबो के लिए तो आपने एक गरीबी रेखा खीच दी और आपके लिए कोई अमीरी रेखा नही , दो -दो साल मे आपके लाख करोडो मे और करोडो अरबो मे बदल जाते है और यहाँ हमारे और 32 के बीच मे 36 का आंकड़ा चलता रहता है |
आपने कहा, हम देश मे राष्ट्रमंडल खेल करायेंगे और आप मजाक -२ मे भ्रष्टमंडल खेल कराने लगे | आपका तो मंगल ही मंगल होने लगा और हमारे जज्बातों के साथ दंगल ही दंगल होने लगा | खेल खेलने वाला हमेशा ये ध्यान रखता है की किसी को चोट न लगे | बच्चो को भी किसी के दरवाजे -खिड़कियाँ न तोड़ने का सबक सिखाया जाता है और आपने तो ऐसा खेल खेला कि हमारे देश के मान-सम्मान के शीशे चूर -चूर हो गये |
आये दिन, देश मे होने वाले बम -विस्फोंटो ,दंगो ,खून -खराबो मे बेचारा आम आदमी मारा जाता है और आप सुरक्षा के नाम पर मजाक ही करते रहते है हजारो घर उजड़ जाते है | परिवार के परिवार तबाह हो जाते है और जेड श्रेणी की सुरक्षा मे रहने वाले आप, सडको पर बहने वाले खून के नाम पर सियासती मजाक करते है | क्या मजाक है……..? कैसा मजाक है………? हमे मरने के लिए छोड़ हमे मारने वाले को बचाते रहते हो ? गन्दी राजनीति की लुका छिपी मे तुम्हे हमारा दर्द दिखाई ही नही देता |
मजाक ही मजाक मे आपने अपने किये सारे वायदे हँसीं मे उड़ा दिए | हमारी सोच ,हमारे विचारो , हमारे विश्वास, हमारे सपनों और हमारे देश के साथ कितने मजाक आपने किये और हमने सहे , सहते रहे | लेकिन अब बंद करो ये मजाक….. क्यों की मजाक की भी एक सीमा होती है और अब आपके ये भद्दे मजाक आम आदमी से सहन नही होते |
भूख- प्यास ,गरीबी, बीमारी, शिक्षा, भ्रष्टाचार, घोटाला, शोषण, दंगे, खून- खराबा, आतंक, धर्म, हिंसा, सड़ी-गली राजनीति के बीच दबा कुचला आदमी जब खड़ा हो जायेगा तो न आप अपनी टोपी संभाल पाओगे और न धोती, क्यों कि जीवन की सच्चाइयों से जूझता हुआ 32 रु पाने वाला आम अमीर आदमी आपकी तरह मजाक नहीं करता , करके दिखाता है |

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