Menu
blogid : 1006 postid : 367

गजल – कुछ नहीं बोले

Amita's blog
Amita's blog
  • 36 Posts
  • 146 Comments

यूँ रफ़्तार देखी है समय की हर वक्त मैंने ,
जाने क्यूँ आज मेरा वक्त रूक गया |
पास आकर तुम जो मुझसे कुछ नही बोले ,
इन आखों को अश्को का सैलाब मिल गया |
मेरी शफकत पर तुम्हे अब यकीं नही रहा ,
यूँ ही कई सवालों का जवाब मिल गया |
करके मुज्तरिब तुम तो यूँ भूल गये होगे ,
तुम क्या जानो किसका अमां लुट गया
लहरों के मचलने का मतलब ये नही होता ,
सागर को कोई दूसरा महताब मिल गया |
मुझे मेरे अशआर से प्यारा कुछ नही ,
तुमसे मेरे अशआर को जमाल मिल गया |
-अमिता श्रीवास्तव

शफकत = प्रेम , मुज्तरिब = परेशान, अमां= चैन , महताब = चाँद ,
अशआर = शेर , जमाल = सौन्दर्य

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh