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गजल -रोशनी की ओर

Amita's blog
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कौन हमे रोशनी की ओर ले के जायेगा |
या यूँ ही उजाले का कत्ल होता जायेगा ||
हवा उलटी बहाने वालो ,सोचो तो जरा |
चमन कितनो का यहाँ वीरान हो जायेगा ||
प्यार नही भयानक खौफ के नजारे मिलेंगे
किसी मासूम की आँखों मे गर झाँका जायेगा ||
वो जिनके पांव जमीं पर पड़ते ही नही |
उन्हें कहाँ बहता लहू नजर आएगा ||
जिन्दगी दो -चार दिन की है मिलकर रहने के लिए |
भाई -२,घर -२, न ये देश बंटने पायेगा ||
वो जो मतलब के लिए लोगों को हैं लड़ाते-फिरते |
बता दो उनसे अब न ये मजाक सहा जायेगा ||
आज अगर हम नही सोचते है कल की |
रोने को आँखों को आंसू भी न मिल पायेगा ||

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