Amita's blog
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आवश्यक नही है
हर चीज को कोई नाम दिया जाये ,
किसी परिभाषा मे बांधा जाये |
नाम और परिभाषा देने का अर्थ है
सीमितीकरण
मेरी अनुभूति को
किसी सीमा मे मत बांधो तुम
मत मांगो कोई नाम
जाने क्यूँ ,तब ऐसा लगता है
जैसे
अथाह समुन्द्र को भर दिया गया हो
एक बोतल मे
हवाओ को कैद कर लिया गया हो मुठ्ठी मे |
सत्य तो यह है ,शायद
कि
शब्दों का अवलम्बन देने पर
भावनाये विकलांग होकर रह जाती है
क्यूँ कि
अभिव्यक्ति और अनुभूति मे अंतर होता है |
यूँ भी
ह्रदय का काम मस्तिष्क नहीं कर सकता
इसलिए
किसी सीमा ,किसी शब्द ,किसी अर्थ मे
बाँधने से बेहतर है
कि तुम महसूस करो |
सिर्फ महसूस |
अमिता श्रीवास्तव
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