Amita's blog
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कभी खल्वत मे आपकी याद चली आई |
हजारो तस्सवुरो मे हयात चली आई ||
दिल के आईने मे तस्वीरे लगी बनने |
आँखों से मोतियों की बारात चली आई ||
इक बेचारा दिल और हजार गम आपके |
अरसे से जिन्दगी मे बस रात चली आई ||
खुदा करे , किसी को हर ख़ुशी मिले |
क्या हुआ जो नसीब में, मेरे हार चली आई ||
सोचा था शिकवे -हिज्र न करेंगे कभी |
जाने कैसे लब पे ये बात चली आई ||
खलवत – अकेले , तस्सवुरों – यादों ,हयात -जिन्दगी
शिकवे -हिज्र – विरहव्यथा , लब -होठो
– अमिता श्रीवास्तव
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