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माँ आज उदास है, हताश है, निराश है |
उजड़ा वतन सवांर सके, उन हाथो की तलाश है ||
इस धरा को स्वर्ग बना सके, वो नौनिहाल चाहिए |
फैला है माँ का आँचल , बस एक लाल चाहिए ||
नैनो मे नीर है , ह्रदय मे पीर है |
माँ के माथे पे , चिंता की लकीर है ||
लाज घर की बचा सके,वो समझदार चाहिए |
फैला है माँ का आँचल ,बस एक लाल चाहिए ||
न माँ के ये भक्त है ,निज स्वार्थ मे आसक्त है |
सेवा भाव से विरक्त ये, नकारा औ अशक्त है ||
सर्व जन सुखाय का विचार सशक्त होना चाहिए |
फैला है माँ का आँचल, बस एक लाल चाहिए ||
हर कोई अब त्रस्त है , सिसक रहा लोकत्रंत है |
नीतिनियम सब ताक पे है, भ्रष्टनेता तंत्र है ||
डूबती नैया पार कर सके खेवनहार ऐसा चाहिए |
फैला है माँ का आँचल बस एक लाल चाहिए ||
अब उठो सम्भाल लो, वक्त है विचार लो |
आँखे खोल अपनी वोट का हथियार लो ||
सोई हुईं जनता को जागरूक होना चाहिये |
फैला है माँ का आँचल, बस एक लाल चाहिए ||
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